बाल दिवस – कब और क्यों मनाया जाता है?

2004
बाल दिवस - Children Day

बाल दिवस यानि बच्चों का दिन. यूं तो बच्चों के बिना यह संसार ही सूना है और एक दिन भी बच्चों के बिना बिताने की कल्पना करना मुश्किल है लेकिन फिर भी हमारे देश में एक ख़ास दिन को सिर्फ बच्चों की ख़ुशी के लिए सैलिब्रेट किया जाता है जिसे हम सभी बाल दिवस के नाम से जानते हैं. बाल दिवस का दिन छोटे-छोटे, प्यारे-प्यारे मासूम बच्चों को समर्पित होता है और यह दिन बच्चों के प्रति हमारे प्रेम, स्नेह, दुलार और सम्मान को प्रदर्शित करता है.

बाल दिवस कब मनाया जाता है?

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था. हर साल उनके जन्मदिवस को बाल दिवस (Children’s Day) के रूप में मनाया जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि नेहरु जी को बच्चों से बहुत लगाव था और सभी बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरु कहकर बुलाते थे. हर साल की तरह इस साल भी पूरे देशभर में बाल दिवस 14 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा.

बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?

बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं इसलिए उनके समुचित विकास के लिए यह ज़रूरी है कि उन्हें भरपूर प्यार दिया जाए, उनकी उचित देखभाल की जाए ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें.

बाल दिवस मनाकर समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है. इस दिन बच्चों को प्यार, ध्यान और स्नेह देने के महत्व पर जोर दिया जाता है.

बाल दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य है: पूरे देश में बच्चों के कल्याण और विकास को प्रोत्साहित करना क्योंकि, यदि बाल विकास होगा तभी देश का भी विकास संभव हो सकेगा. इसके लिए सबसे पहले यह अनिवार्य है कि देश के सभी बच्चों तक उचित शिक्षा पहुचें.

बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?

बाल दिवस के दिन सभी स्कूलों में रंगारंग कार्यक्रमों, मेलों, खेलकूद और प्रतियोगिताओं का बड़े ही जोश और हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया जाता है और सभी बच्चों में मिठाई व गिफ्ट्स आदि वितरित किए जाते हैं. कुछ स्कूलों में इस दिन बच्चों को कहीं घुमाने या पिकनिक पर ले जाने का भी कार्यक्रम होता है.

इस दिन बाल मेलों का भी आयोजन किया जाता है जिनमें बच्चे अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और स्वःनिर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाकर अपना हुनर दिखाते हैं. आम जनता को शिक्षा का महत्व बताने के लिए बच्चों के द्वारा जगह-जगह पर नुक्कड़ नाटक का भी प्रदर्शन किया जाता है.

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वर्तमान समय में बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस की शुरुआत इसलिए की गई थी कि बच्चों की ज़रूरतों का ध्यान रखा जाए, उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके और बाल विवाह, बाल मज़दूरी जैसी कुप्रथाओं को बंद करके बाल-शोषण को रोका जा सके ताकि बच्चों का समुचित विकास संभव हो सके.

लेकिन यदि वर्तमान परिस्थितियों को देखा जाए तो बाल दिवस स्कूलों, निजी संस्थानों और सरकारी विभागों के लिए मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया है.

बच्चों के भविष्य की इस अनदेखी के कारण पढ़ने-खेलने की उम्र में भारत में बच्चों का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज भी शोषण का शिकार है.

बाल शोषण का जीता जागता उदाहरण आपको किसी भी होटल, फैक्ट्री, दुकानों और यहां तक कि बड़े-बड़े महानगरों के कुछ घरों में भी देखने को मिल जाएगा जो अपना पेट भरने के लिए इन जगहों पर काम या मज़दूरी करने को मजबूर हैं.

बाल शोषण की क्रूरता तो देखिए कि सरकार की अनदेखी के कारण अबोध बचपन बाल-तस्करी की भी भेंट चढ़ रहा है.

बाल दिवस को सही अर्थों में सार्थक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि बाल दिवस के मौके पर सिर्फ औपचारिक आयोजनों की खानापूर्ति न की जाए बल्कि समाज के सभी वर्ग तथा सरकारी तंत्र बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में भी अपना योगदान दें.

देश के हर बच्चे के पास शिक्षारूपी हथियार मौजूद होना चाहिए जिससे वह अपना कल बेहतर बना सके ताकि मासूम बच्चों का बचपन मूलभूत सुविधाओं से वंचित व सिसकता हुआ न रह जाए.

*** प्यारे बच्चों को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ***

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