विषय - सूची
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व भर में हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है. विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने की शुरुआत सन 1972 में हुई थी. सबसे पहले सयुंक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया था.
विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?
पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य है समस्त मानव जाति को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना. मनुष्य को यह समझाना कि प्रकृति के बिना उसका जीवन संभव ही नहीं है. पर्यावरण दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि मनुष्य यह समझ सके कि मनुष्य प्रकृति से बढ़कर नहीं है, वह प्रकृति का एक हिस्सा मात्र है.
पर्यावरण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में लोगों के बीच पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल इफेक्ट आदि ज्वलंत मुद्दों और इनसे होने वाली विभिन्न समस्याओं के प्रति सामान्य लोगों को जागरूक करना है ताकि पर्यावरण की रक्षा हेतु उन्हें प्रेरित किया जा सके.
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम क्या है?
हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर अलग-अलग थीम रखी जाती है. इन चुनी गई थीम के अनुसार ही समस्त देशों में पर्यावरण जागरूकता से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम रखी गई है: ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली (Ecosystem Restoration)’.
‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ का अर्थ है क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुके पारिस्थितिक तंत्र को फिर से ठीक होने में उसकी मदद करना, पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण करना और पृथ्वी को एक बार पुनः उसकी अच्छी अवस्था में वापस लाना.
मनुष्य द्वारा वनों की कटाई, वन्यजीवों के आवास पर मनुष्य का प्रहार, गहन कृषि और वैश्विक जलवायु परिवर्तन जैसे कार्यों ने प्रकृति को बहुत नुक्सान पहुंचाया है और इसे आज भयानक कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है.
इसकी वजह से दुनियाभर के इकोसिस्टम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इन गंभीर समस्याओं से निपटने का एकमात्र उपाय है पेड़ लगाकर अपने पर्यावरण को फिर से हरा-भरा बनाना.
इकोसिस्टम रीस्टोरेशन के तहत पेड़ लगाकर हम अपने पर्यावरण की रक्षा और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम कर सकते हैं जिससे इकोसिस्टम पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकता है.
ये भी ज़रूर पढ़ें:
- पृथ्वी दिवस – पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है?
- थल सेना दिवस – Indian Army Day
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – कब और क्यों मनाया जाता है?
विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व क्या है?
हमारे पर्यावरण की सुरक्षा करने एवं इसे सुधारने के लिए पर्यावरण दिवस महत्वपूर्ण है. भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया है. पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें और उसे जीवन के अनुकूल बनाएं रखें.
वर्तमान समय में पूरे विश्व में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है. इंसान ने अपनी सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का ज़रुरत से कई अधिक दोहन किया है जिससे पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची है. अनेक वर्षों से प्रकृति से की जा रही छेड़छाड़ का हर्जाना आज समस्त संसार भुगत रहा है.
औद्योगीकरण और शहरीकरण की वजह से न जाने कितने ही पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं की प्रजातियां और नदियां आज विलुप्त हो चुकी हैं और न जाने कितने ही विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं. दूषित हवा के साथ-साथ आज दूषित जल की भी समस्या विकट होती जा रही है.
कहीं अंधाधुंध जंगलों का नाश किया गया, बेगुनाह वृक्ष काटे गए तो कहीं नदियों के जल को बांधकर बांध का निर्माण किया गया, तो कहीं नदियों के पानी को इतना दूषित किया गया कि इंसान आज ख़ुद भी उसके जल से अपनी प्यास बुझाने में असमर्थ है.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया ने कोरोना महामारी के प्रकोप को झेला है और न जाने कितने ही मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु के ग्रास में समा गये.
मानव द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण आज हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की इतनी कमी हो गई है कि आज लोगों को अपनी जान बचाने के लिए ऑक्सीजन भी ख़रीदनी पड़ रही है.
दिन-ब-दिन बढ़ते प्रदूषण के कारण समस्त धरती दूषित हो रही है और भविष्य में मानव सभ्यता का अंत भी निकट ही दिखाई दे रहा है.
इस बुरे असर से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए ही वैश्विक मंच पर पर्यावरण दिवस का आयोजन किया जाता है. जिसका एक मात्र उद्देश्य होता है लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना.
स्वस्थ जीवन के लिए, पर्यावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मानव का समस्त जीवन प्रकृति पर ही आश्रित है. हमारी मूलभूत आवश्यकताएं जैसे: हवा, भोजन, पानी इत्यादि पर्यावरण से ही पूरी होती हैं.
इसलिए समस्त मानव जाति को अपना भविष्य सुरक्षित रखने हेतु पर्यावरण के महत्त्व को समझना चाहिए और पर्यावरण को बचाने का पूरा प्रयास करना चाहिए.
भारत में पर्यावरण सरंक्षण के प्रणेता
भारत में पर्यावरण संरक्षण हेतु कई महान हस्तियों ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है जिनमें सुंदर लाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट, गौरा देवी और मेधा पाटकर जी का नाम सबसे उल्लेखनीय रहा है.
अपने पर्यावरण की सुरक्षा हेतु इन महान हस्तियों ने कई आन्दोलनों को भी जन्म दिया जैसे: चिपको आन्दोलन, मैती आन्दोलन, खेजड़ली आन्दोलन, नर्मदा बचाओ आन्दोलन, टिहरी बांध विरोधी आन्दोलन, जंगल बचाओ आन्दोलन, बिश्नोई आन्दोलन आदि.
इन आन्दोलनों के माध्यम से अपने पर्यावरण को बचाने की हर संभव कोशिश की गई.
आज हम सबको भी अपने पर्यावरण के संरक्षण हेतु जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है. इसलिए कोशिश करें कि हमारे द्वारा पर्यावरण को कोई हानि न पहुंचे ताकि प्रकृति के अस्तिव को बचाकर हम अपने अस्तित्व को बचा सकें.