माँ के दूध से बच्चे को फायदे -12 Benefits of Breastmilk for Baby

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माँ के दूध से बच्चे को फायदे

आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे माँ के दूध से बच्चे को फायदे के बारे में. क्या माँ का दूध पीने से शिशु ताकतवर होते हैं और साथ ही हम ये भी जानेंगे कि माँ का दूध शिशु के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? 

यह तो हम सभी जानते हैं कि माँ के दूध को सम्पूर्ण आहार कहा जाता है क्योंकि माँ के दूध में वे सभी ज़रूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो कि हर बच्चे के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक हैं.

शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वाधिक संतुलित आहार होता है. जन्म लेने से लेकर छै माह तक बच्चे की सारी पोषक तत्वों की आवश्यकताएं माँ के दूध से ही पूरी होती हैं.

एक माँ के जीवन में स्तनपान बहुत ही सुखद अनुभव होता है. स्तनपान बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है और प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक प्रक्रिया है जो, नवजात शिशु के पोषण व उसकी सुरक्षा के लिए बनाई गई है.

माँ के दूध से बच्चे को होने वाले फायदे

माँ के दूध में सही मात्रा में प्रोटीन, फैट्स, आयरन, ज़िंक, मल्टी विटामिन्स, मिनरल्स ये सभी मौजूद होते हैं और जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे माँ के शरीर में दूध की मात्रा भी बदल जाती है. 

चलिए अब जानते हैं कि माँ के दूध से बच्चे को फायदे क्या-क्या होते हैं.

संक्रमण से बचाए मां का दूध

गर्भावस्था से ही मां का शरीर शिशु के लिए दूध बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर देता है. बच्चे के जन्म के बाद पहले 48 घंटों में मां की ब्रेस्ट से गाढ़ा, पारदर्शी, पीले रंग का लिक्विड बाहर निकलता है जिसे कोलोस्‍ट्रम [colostrum] कहते हैं.

शिशु के जन्म के बाद मां के स्तन से निकलने वाला यह प्रथम दूध होता है. इसमें बहुत ही प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और एंटीबॉडीज़ मौजूद रहते हैं इसलिए ये नवजात शिशु के लिए मां के दूध से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. यह शिशु को किसी भी संक्रमण से बचाने में सहायक होता है.

पाचन में आसान है माँ का दूध

माँ के दूध का डाइजेशन बहुत ही जल्दी से होता है अर्थात् माँ के दूध को प्रत्येक शिशु आसानी से पचा लेता है क्योंकि माँ के दूध में अच्छी मात्रा में पाचक द्रव्य उपस्थित होते हैं. इसलिए शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वोत्तम आहार माना जाता है.

मल्टीविटामिन से भरपूर है माँ का दूध

जो शिशु जन्म लेने के बाद छै महीने तक सिर्फ माँ का दूध पीते हैं उन्हें अलग से मल्टीविटामिन देने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं पड़ती है क्योंकि माँ के दूध में पहले से ही कई सारे विटामिन्स मौजूद रहते हैं जो बच्चे के शरीर को ताकतवर बनाते हैं और बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं. इसके साथ ही माँ के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे को कई सारी बीमारियों जैसे- डायरिया आदि तथा इन्फेक्शन से बचाते हैं.

माँ का दूध शिशु के बौद्धिक विकास में सहायक

जो बच्चे स्तनपान करते हैं वे स्तनपान न करने वाले बच्चों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान होते हैं. माँ का दूध बच्चों के बौद्धिक विकास में सहायक होता है. इसलिए स्तनपान करने वाले बच्चों का आई.क्यू. लेवल भी अपेक्षाकृत अधिक रहता है.

वैसे देखा जाए तो बेबी का ब्रेन डेवलपमेंट यानि मस्तिष्क का विकास या मानसिक विकास शुरू के 2 साल में सबसे अधिक होता है लेकिन ज्यादा से ज्यादा शारीरिक विकास शुरू के छह महीने में अधिक होता है और ब्रेस्ट मिल्क शिशु के बौद्धिक विकास के लिए बहुत ही अच्छा स्रोत माना जाता है. 

प्रतिकार शक्ति बढ़ाए माँ का दूध

जो शिशु स्तनपान करते हैं उनकी प्रतिकार शक्ति बहुत ही अच्छी रहती है अर्थात् स्तनपान करने वाले शिशुओं को किसी भी तरह के संक्रमण का ख़तरा बहुत ही कम रहता है. स्तनपान करने वाला बच्चा हर तरह के बैक्टीरियल वायरल इन्फेक्शन से ज्यादा मजबूती से लड़ने में सक्षम होता है. 

जब हम फॉर्मूला मिल्क लेने वाले बच्चे और स्तनपान करने वाले बच्चे इन दोनों के बीच तुलना करते हैं तो देखते हैं कि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार होते हैं, क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क में बहुत अच्छी मात्रा में ऐंटीबॉडीज़ शामिल रहती हैं जो दूध पीने वाले बच्चे को कई सारी बीमारियों से बचाती हैं.   

ब्रेस्ट मिल्क में डब्ल्यू.बी.सी मौजूद होते हैं

इसके साथ ही ब्रेस्ट मिल्क में अच्छी मात्रा में डब्ल्यूबीसी यानि की व्हाइट ब्लड सेल्स मौजूद रहते हैं जो इन्फेक्शन से लड़ने में सहायक होते हैं. जैसा कि हम देखते हैं कि जिन माताओं को कोविड का संक्रमण हुआ है या जिन्होंने कोविड का वैक्सीनेशन लिया है उनके शरीर में एंटीबॉडी तैयार हो चुके होते हैं और वो ऐंटीबॉडी स्तनपान के दौरान ब्रेस्ट मिल्क से उनके नवजात शिशु को भी मिलते हैं जिससे कोविड के प्रति शिशु की इम्यूनिटी बढ़ जाती है.

यह भी देखा गया है कि जब बचपन में टीकाकरण होता है, उसका असर और प्रभाव स्तनपान करने वाले शिशुओं पर अधिक रहता है. 

भावनात्मक रूप से मजबूत बनाए माँ का दूध

स्तनपान करने वाले बच्चे भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करते है और माँ व बच्चे के बीच एक भावनात्मक रिश्ता बना रहता है. माँ का दूध पीने वाले शिशु भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं.

बच्चे के दांत व चेहरे को रखे स्वस्थ

जो बेबी स्तनपान करते हैं उनके चेहरे और दांतों की रचना तथा बनावट अच्छी रहती है और उनको दांत खराब होने की समस्या भी कम रहती है. 

एलर्जिक रिऐक्शन से बचाए माँ का दूध

कुछ शिशुओं को किसी भी चीज़ से एलर्जिक रिऐक्शन आसानी से हो जाता है इसकी तुलना में जो शिशु स्तनपान करते हैं, उनको ये एलर्जिक रिऐक्शन जैसे-अस्थमा या एक्ज़िमा आदि होने की संभावना बहुत ही कम रहती है. 

कैंसर से बचाने में सक्षम है माँ का दूध

देखा गया है कि बच्चों को होने वाला कैंसर भी स्तनपान करने वाले बच्चों में न के बराबर होता है अर्थात् ब्रेस्ट मिल्क देकर अपने शिशु को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचाया जा सकता है.

प्रीमेच्योर बेबी के लिए वरदान है माँ का दूध

माँ का दूध ख़ासकर उन बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है, जो बच्चे समय से पूर्व जन्म लेते हैं और बेहद कमज़ोर होते हैं. माँ का दूध पीने से ऐसे बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक विकास में बहुत सहायता मिलती है. माँ का दूध ही प्रीमेच्योर बेबी को अंदर से मजबूत व ताकतवर बनाने में मदद करता है.

यदि आप बच्चे को तुरंत स्तनपान कराने योग्य न हों अथवा आपका बच्चा स्वयं से आपका दूध पीने में सक्षम न हों तो आप दूध को पम्प की सहायता से भी निकालकर पिला सकते हैं.

ब्रेस्ट मिल्क की एक खासियत होती है कि ज़रुरत के अनुसार ही इसकी मात्रा और इसमें मौजूद कंटेंट बदल जाते हैं. जैसे:- यदि शिशु का जन्म प्रीमेच्योर यानि समय से पूर्व हुआ है तो वो दूध थोड़ा अलग रहता है ताकि उसका पाचन भी छोटा बेबी कर सके और जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे दूध की मात्रा भी बदल जाती है और उसमें जो पोषक द्रव्य होते हैं वे भी बदल जाते हैं.

दीर्घकालीन लाभ दे माँ का दूध

लंबे समय तक स्ततनपान करने वाले बच्चों में दीर्घकालीन लाभ दिखाई देते हैं. बड़े होने के बाद ऐसे बच्चों में मोटापा भी थोड़ा कम रहता है, उनकी इम्यूनिटी मजबूत रहती है, इसके साथ ही टाइप टू डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग एवं कैंसर जैसी बीमारियों का ख़तरा भी कम रहता है. माँ के दूध में किसी भी तरह की मिलावट का कोई ख़तरा नहीं रहता है. इसलिए अन्य विकल्पों को आजमाने से बेहतर है कि बच्चे को मां का दूध ही पिलाया जाए.