प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए? – Pregnancy me kya nahi khana chahiye

1665
प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए – गर्भावस्था में भूलकर भी ना खाएं ये चीजें

आज हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के समय गर्भवती महिला को संतुलित आहार खाने की सलाह दी जाती है ताकि उसके होने वाले शिशु को उचित पोषण मिल सके और इसके साथ-साथ कई तरह के खाने से परहेज करने की भी सलाह दी जाती है.

जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तो उसका कई प्रकार की चीज़ें खाने का मन करता है लेकिन कभी-कभी जानकारी के अभाव में वह ऐसी कुछ ऐसा भी खा सकती है जो कि आगे चलकर उसके व होने वाले शिशु दोनों के लिए बहुत घातक हो सकता है.

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में गर्भपात का ख़तरा सबसे अधिक रहता है, अतः प्रत्येक गर्भवती महिला को यह जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है कि उसे प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए?

गर्भावस्था में भूलकर भी न खाएं ये चीजें

आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि वो कौन-कौन सी चीज़े हैं जिनके सेवन से गर्भवती महिला को बचना चाहिए.

कच्चा दूध

गर्भवती महिला के लिये दूध पीना बहुत ही फायदेमंद होता है, लेकिन यदि वह कच्चे दूध का सेवन करे तो यह फायदे की जगह नुक्सान करता है. अतः गर्भवती महिला को विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि वह अपनी गर्भावस्था के दौरान कच्चे दूध का सेवन बिलकुल भी न करे क्योंकि इसमें लिस्टेरिया नामक जीवाणु पाया जाता है जिससे गर्भवती महिला को संक्रमण हो सकता है और इसकी वजह से महिला को उल्टी, दस्त या बुखार की शिकायत हो सकती है. दूध को अच्छी तरह से उबालकर एवं फिर उसे गुनगुना होने के बाद ही पियें .

कच्चा पपीता

गर्भवती महिला को कच्चा या अधपका पपीता खाने से हमेंशा बचना चाहिए क्योंकि, इसमें लेटेक्स नामक पदार्थ होता है जिसके सेवन से गर्भाशय में संकुचन पैदा होता है और गर्भपात का खतरा बना रहता है या फिर समय से पूर्व प्रसव होने की भी संभावना रहती है.

अनानास

अनानास खाने से भी गर्भवती महिला को बचना चाहिए. शुरुआत के तीन माह तक तो इसका सेवन बिल्कुल भी न करें, इसमें मौजूद ब्रोमेलैन नामक पदार्थ गर्भपात के लिये जिम्मेदार होता है. गर्भावस्था के अंतिम तीन माह में भी इसका सेवन न करें क्योंकि, इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा रहता है.

चाय या कॉफ़ी

गर्भावस्था के समय डॉक्टर्स भी चाय या कॉफ़ी न लेने की सलाह देते हैं क्योंकि, इनमें कैफ़ीन की मात्रा अधिक होती है जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को नुक्सान पहुँचता है और जन्म लेते समय उसका वजन कम रहता है.

कोल्डड्रिंक

प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंट महिलाओं को न ही अत्यधिक गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए और न ही अत्यधिक ठंडी तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.

कोल्डड्रिंक में बहुत अधिक मात्रा में शुगर मौजूद होती है. कोल्डड्रिंक पीने से आपका शुगर लेवल और मोटापा बढ़ता है, साथ ही आपको एसीडिटी की समस्या भी होती है. बहुत ज्यादा वजन बढ़ने से नॉर्मल डिलीवरी हो पाना बहुत मुश्किल होता है.

कोल्डड्रिंक का सेवन करने से आपके शिशु के दिमागी विकास में भी बाधा पड़ सकती है. इसलिए प्रेगनेंसी में कोल्डड्रिंक का सेवन बिल्कुल भी न करें. इसके बदले में आपको ताज़े फलों का जूस, लस्सी, नींबू पानी और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए.

आइसक्रीम

अक्सर देखा गया है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का आइसक्रीम खाने का बहुत ज्यादा मन करता है. लेकिन प्रेगनेंसी में आइसक्रीम का अधिक सेवन करना गर्भवती महिला के लिए ठीक नहीं होता.

आइसक्रीम में शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है जो कि आपका वजन बढ़ाने के लिए भी ज़िम्मेदार होती है. मोटापा अधिक बढ़ने से आपका ब्लड प्रेशर, डाइबिटीज़ और कॉलेस्ट्रोल भी बढ़ सकता है जिस वजह से आपकी डिलीवरी में भी दिक्कत आ सकती है.

आइसक्रीम के सेवन से गैस, एसिडिटी और रात के समय नींद न आने की समस्या भी हो सकती है. इसलिए प्रेगनेंसी में आइसक्रीम का बहुत अधिक सेवन करने से आपको बचना चाहिए. यदि प्रेगनेंट महिला शुगर से ग्रसित है तो भी उन्हें आइसक्रीम को ख़ास तौर से अवॉइड करना चाहिए.

मसालेदार भोजन

गर्भवती महिला को मसालेदार जैसे- ज्यादा नमक-मिर्च और ज्यादा तला-भूना भोजन का सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि, इससे महिला को गैस व कब्ज की शिकायत हो सकती है और महिला को भोजन पचाने में भी कठिनाई होती है.

पैक्ड और फ़ास्ट फ़ूड

अक्सर महिलाओं की ये आदत होती है कि कई बार वे समय के अभाव में बाज़ार से पैक्ड फ़ूड ले लेती हैं या फिर स्वाद के लिये फ़ास्ट फ़ूड खा लेती हैं. पैक्ड फ़ूड में प्रिज़रवेटिव्स मिले होते हैं अतः गर्भावस्था के दौरान इस तरह के भोजन का सेवन करना गर्भवती महिला व शिशु दोनों के लिये ही ख़तरनाक साबित हो सकता है, इसी तरह गर्भावस्था में फ़ास्ट फ़ूड का सेवन भी सेहत के लिये हानिकारक होता है.

फ़ास्ट फूड में अधिकतर मैदे का इस्तेमाल किया जाता है और मैदा हमारे शरीर के लिए बहुत ही विनाशकारी पदार्थ है. यह पचने में भी भारी होता है और आंतों में चिपक सकता है अतः गर्भवती महिला को फ़ास्ट फ़ूड का सेवन नहीं करना चाहिए.

इनके अतिरिक्त गर्भवती महिला को बासी भोजन, बहुत अधिक मीठा भोजन, बहुत अधिक खट्टा, बहुत अधिक गर्म या बहुत अधिक ठंडी चीज़ और स्ट्रीट फ़ूड यानि बाहर ठेले पर बनने वाला भोजन खाने से भी बचना चाहिए.

ठेले पर बनने वाले भोजन या जूस में साफ़-सफाई का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता है अतः ऐसा भोजन खाने से गर्भवती महिला को फ़ूड पॉयज़निंग हो सकती है जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिये भी हानिकारक है.

बैंगन व कटहल

गर्भावस्था के दौरान बैंगन खाने से गर्भाशय में संकुचन पैदा होता है जिससे समय से पहले ही प्रसव हो जाता है और जन्म लेते समय शिशु बहुत कमजोर हो सकता है. गर्भावस्था के दौरान बैंगन की सब्जी खाने से आपको खुजली की समस्या भी हो सकती है.

इसके साथ ही कटहल का फल या सब्जी को भी अपने भोजन में इस्तेमाल न करें. इसकी तासीर गरम होती है जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक है. शुरूआती दिनों में इसका अत्यधिक सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है.

कच्ची अंकुरित दालें

अंकुरित दालें वैसे तो बहुत पौष्टिक आहार है लेकिन यदि इन्हें बिना पकाए ही खाया जाए तो ये गर्भवती महिला के लिये अच्छे नहीं माने जाते हैं. कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला नामक जीवाणु उत्त्पन्न हो जाता है जिससे महिला को उल्टी, दस्त तथा फ़ूड प्वाइज़निंग की शिकायत हो सकती है.

कच्चा या अधपका मांस

गर्भवती महिला को कच्चा या अधपका मांस या अधपकी मछली बिलकुल भी नहीं खानी चाहिए क्योंकि इससे माँ व शिशु दोनों को संक्रमण हो सकता है. गर्भावस्था के समय मरकरी युक्त मछली का सेवन भी बिल्कुल न करें, ये शिशु के मस्तिष्क पर बुरा असर डालती है.

कच्चे मांस में लिस्टेरिया नामक जीवाणु पाया जाता है जिससे, गर्भवती महिला को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. अतः प्रेगनेंसी में इसका सेवन न करें.

कच्चा अंडा

गर्भावस्था के दौरान अंडे का सेवन लाभदायक माना जाता है क्योंकि अंडे में ढेर सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं लेकिन अंडे को हमेंशा पकाकर या उबालकर ही खाएं. कच्चे अंडे में कई तरह के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. इसमें मौजूद सिल्मोनीला नामक जीवाणु से संक्रमण होने की संभावना रहती है जो कि माँ व शिशु दोनों के लिये खतरनाक है.

कच्ची व बिना धुलि सब्जियां

आजकल सब्जियों व फलों को पकाने के लिए तरह-तरह के कैमिकल्स, रंगों और इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिये बहुत खतरनाक होते हैं अतः गर्भवती महिलाएं जब भी कोई सब्जी या फल लेती हैं तो उसे अच्छी तरह से धोने के बाद ही पकाएं व खाएं.

शराब व धूम्रपान

शराब में एल्कोहल होता है. यदि गर्भावस्था के समय महिला शराब का सेवन करती है तो यह एल्कोहल महिला के शरीर के द्वारा शिशु तक पहुँच जाता है जिसका बुरा असर शिशु के दिमाग पर पड़ता है और उसके सोचने-समझने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है या फिर शिशु मन्दबुद्धि भी पैदा हो सकता है अतः इस समय गर्भवती महिला को शराब का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.

गर्भवती महिला धूम्रपान अथवा सिगरेट का सेवन भी न करें. सिगरेट में निकोटीन तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड रसायन होता है जो कि शिशु के दिमाग के विकास पर बुरा प्रभाव डालता है और शिशु को दिमाग संबंधी बीमारी का खतरा रहता है.

धूम्रपान करने वाली महिलाओं को भी समय से पूर्व प्रसव होने की संभावना रहती है. अतः गर्भवती महिला को धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब

  1. प्रेगनेंसी में कौन-कौन से सप्लीमेंट्स लेने चाहिए?

    प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह पर आप फॉलिक एसिड, आयरन और कैल्शियम के सप्लीमेंट्स ले सकती हैं.

  2. क्या प्रेगनेंसी के समय ज्यादा खाना खाना सही है?

    जी नहीं, ऐसा ज़रूरी नहीं है लेकिन आप जितना भी खाएं उसमें वे सभी पौष्टिक तत्व मौजूद होने चाहिए जिनकी आवश्यकता आपको एवं आपके होने वाले बच्चे को है.

  3. क्या प्रेगनेंसी में तिल का सेवन करना सेफ़ है?

    जी नहीं, तिल की तासीर गर्म होती है अतः पहली तिमाही में इसके सेवन से गर्भपात का ख़तरा हो सकता है. इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान तिल का सेवन न करें.

  4. प्रेगनेंसी में कौन-कौन सी सब्जी खाने से बचना चाहिए?

    प्रेगनेंसी में पत्ता गोभी, करेला व अदरक का सेवन बहुत अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए.

  5. क्या प्रेगनेंसी में ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना सेफ़ है?

    जी हां, प्रेगनेंसी में आप ड्राई फ्रूट्स जैसे- बादाम, अखरोट, किशमिश आदि का सेवन कर सकती हैं. सीमित मात्रा में इनका सेवन करना बिल्कुल सेफ़ है. यदि आप इन्हें कुछ देर पानी में भिगोकर खाती हैं तो यह आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होगा.