आज इस पोस्ट में हम आपको घर पर रहकर कोरोना का कैसे करें इलाज? इस विषय में जानकारी देने वाले हैं.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस वक़्त पूरी दुनिया एक बहुत ही भयावह महामारी से लड़ रही है जिसका नाम है covid-19 अर्थात् कोरोना वायरस.
पिछले वर्ष 2020 में कोरोना महामारी हमारे देश में आई थी लेकिन उस वक़्त हालात इतने बुरे न थे जितने कि आज हो गये हैं. दिन-ब-दिन हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने अब हमारे देश में तांडव मचा रखा है और न जाने कितने ही लोगों की जान ले ली है. यह संक्रमण अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन का रूप ले चुका है और बड़ी ही तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फ़ैल रहा है.
वर्तमान समय 2021 में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि अब अस्पतालों में भी मरीज़ को भर्ती करने की जगह नहीं मिल रही है.
ऐसे में केवल कोरोना के गंभीर मामलों में ही मरीज़ को भर्ती किया जा रहा है और हल्के व मध्यम मामलों में मरीज़ को घर पर ही होम आइसोलेशन में रहते हुए अपना इलाज करने की सलाह दी जा रही है.
ऐसे हालातों में घर पर रहते हुए सतर्कता और सही जानकारी ही आपका बचाव कर सकती है.
होम आइसोलेशन में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ को घर के बाकी सदस्यों से अलग रखकर उसका इलाज किया जाता है. आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कोरोना के मरीज़ घर पर रहकर कैसे अपनी रिकवरी कर सकते हैं.
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विषय - सूची
होम आइसोलेशन में रखें ये सावधानियां
मरीज़ को अलग कमरे में रखें
होम आइसोलेशन में रहने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है कि मरीज़ के लक्षण गंभीर नहीं होने चाहिए. यदि लक्षण गंभीर है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करना चाहिए.
यदि लक्षण गंभीर नहीं हैं तो मरीज़ के लिए घर पर एक अलग ऐसा कमरा होना चाहिए जो कि हवादार हो. इसके साथ ही मरीज़ के लिए अलग टॉयलेट भी उपलब्ध हो.
मरीज़ को कम से कम 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहना ज़रूरी है ताकि वह अन्य लोगों तक यह संक्रमण न फैला सके.
यदि 14 दिन बीत जाने के बाद मरीज़ को बुखार या अन्य कोई लक्षण नहीं है, तो वह डॉक्टर से पूछकर होम आइसोलेशन ख़त्म कर सकते हैं.
मरीज़ की देखभाल के लिए 24 घंटे पूरी सावधानी के साथ कोई उसके आस-पास होना चाहिए. कमरे की खिड़कियां खुली रखें. मरीज़ के बर्तन, तौलिया, चादर और कपड़े बिल्कुल अलग रखें.
मरीज़ के सीधे संपर्क में न आएं
जो भी व्यक्ति घर पर कोरोना से ग्रसित मरीज़ की देखभाल कर रहा है, उसे भी अपनी सुरक्षा के लिए डबल मास्क लगाना और डिस्पोज़ेबल ग्लव्स पहनना बहुत ज़रूरी है.
खाना देते समय भी मरीज़ के सीधे संपर्क में न आएं. किसी छोटे टेबल पर रखकर खाना दें. मरीज़ के उपयोग की किसी भी चीज़ को सीधे हाथ से न छुएं बल्कि ग्लव्स पहनकर रखें.
बुखार और ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहें
![ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहें](https://www.momkidseducation.com/wp-content/uploads/2021/05/oximeter-oxigen-level-1.jpg)
आइसोलेशन में रह रहे मरीज़ को दिन में कम से कम हर चार घंटे में अपना बुखार और हर दो घंटे में ऑक्सीजन का स्तर अवश्य चैक करते रहना चाहिए.
बुखार मापने के लिए थर्मामीटर और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर मापने के लिए आपको पल्स ऑक्सीमीटर की ज़रुरत पड़ेगी इसलिए ये दो चीज़ें अपने पास ज़रूर रखें.
आपके शरीर का तापमान 100 फॉरेनहाइट से अधिक नहीं होना चाहिए और SpO2 रेट यानि ऑक्सीजन लेवल 94% से कम नहीं होना चाहिए. यदि आपका ये दोनों स्तर सामान्य से अधिक होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या तुरंत हॉस्पिटल जाकर अपना इलाज करवाएं.
साफ-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखें
किसी भी बीमारी से ठीक होने के लिए सबसे पहले साफ़-सफाई का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है. कोरोना वायरस के मरीज़ को भी जल्दी ठीक होने के लिए साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
20 सेकेंड तक पानी और साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं. कुछ भी खाने से पहले, खाने के बाद, वॉशरूम से आने के बाद या कोई भी चीज़ छूने के बाद भी अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोना बिल्कुल न भूलें.
जब तक अपने हाथों को अच्छे से न धो लें तब तक अपने मुंह, नाक और आंख को न छुएं. यदि आपको बुखार नहीं है तो रोज़ाना गर्म पानी से स्नान करें.
नियमित दवा लें और डॉक्टर की सलाह मानें
कोरोना मरीज़ को डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का नियमित रूप से समय पर सेवन करना चाहिए और डॉक्टर से मिली सलाह का भी पालन करना चाहिए.
कुछ ज़रूरी दवाएं अपने पास ज़रूर रखें जैसे: पैरासिटामोल, एंटी-एसिड टेबलेट, एंटी-एलर्जिक टेबलेट, विटामिन C की गोलियां, कोरोनिल टेबलेट आदि. ज़रुरत पड़ने पर आप इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.
यदि आइसोलेशन में रहते हुए मरीज़ को कुछ अन्य लक्षण जैसे: सांस लेने में कठिनाई, छाती में लगातार दर्द होना, चेहरा नीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
मास्क है ज़रूरी
यदि आप कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं तो आपको पूरे समय दो लेयर वाला मास्क यानि डबल मास्क पहनना चाहिए. अपने मास्क को 7 से 8 घंटे में बदलते रहें और समय-समय पर इसे सैनेटाइज़ भी करते रहें.
यदि आप कॉटन के मास्क का प्रयोग कर रहे हैं तो इसे समय पर धोते भी रहें. अपना मास्क बिल्कुल अलग रखें, इसे किसी दूसरे के मास्क के साथ टच न होने दें और ना ही किसी दूसरे का मास्क प्रयोग करें.
घर के अन्य सभी सदस्यों को भी, चाहे वे घर पर हों या घर से बाहर हों, उन्हें हर वक़्त मास्क पहनकर रखना चाहिए. मास्क को ठीक तरह से पहनें, जो ठीक तरह से आपके चेहरे को ढककर रखे.
सैनेटाइज़ेशन है ज़रूरी
जहां पर कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को रखा जाता है उसके आस-पास के एरिया को समय-समय पर एल्कोहल युक्त सैनेटाइज़र से सैनेटाइज़ करते रहें.
मरीज़ को अपनी हर एक चीज़ को भी सैनेटाइज़ करते रहना चाहिए. हर दिन अपने मोबाइल फ़ोन, मास्क, हाथों, कमरे, बाथरूम और वॉशरूम को भी हर दिन सैनेटाइज़ करने की आदत डाल लीजिए.
इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें
मौजूदा हालातों में ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी कमज़ोर होती है वे लोग कोरोना वायरस की चपेट में बहुत जल्दी आ जाते हैं. इसलिए यदि आप कोरोना से संक्रमित हैं तो सबसे पहले अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने पर ध्यान दीजिए.
अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करें. विटामिन C युक्त सिट्रस फल जैसे- नींबू, मौसमी, आंवला, संतरा, कीनू, कीवी, अनार, अनानास और पपीता आदि का रोज़ाना सेवन करें या इनका जूस बनाकर पिएं.
रोज़ाना काढ़ा का सेवन करें
कोरोना के संक्रमण से ठीक होने के लिए रोज़ दिन में कम से कम तीन बार आयुष काढ़ा का सेवन अवश्य करें. इसमें वे सभी तत्व मौजूद होते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाकर वायरस से लड़ने के लिए आपको ताकत देते हैं.
आप स्वयं भी अपने घर पर काढ़ा बनाकर तैयार कर सकते हैं. इस काढ़े को बनाने में तुलसी, अदरक, दालचीनी, इलायची, लौंग, काली मिर्च, मुनक्का एवं हल्दी का प्रयोग करें. इसे शहद के साथ लेना आपके लिए ज्यादा फ़ायदेमंद होगा.
रोज़ गरारे करें और भाप लें
कोरोना के लक्षणों में से एक लक्षण है गले में दर्द या ख़रास होना. अतः इसे दूर करने के लिए मरीज़ को रोजाना दिन में तीन से चार बार हल्दी और नमक के पानी के गरारे करने चाहिए, इससे गले को आराम मिलेगा.
इसके साथ ही स्टीम यानि भाप भी लेते रहें. भाप लेने के लिए आप स्टीमर का प्रयोग कर सकते हैं. रोज़ भाप लेने से आप छाती में कफ़ को जमा होने से रोक सकते हैं.
इससे इन्फेक्शन आपके फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएगा. भाप लेने वाले पानी में भी हल्दी का प्रयोग ज़रूर करें.
प्रोनिंग पोजिशन में लेटें
![प्रोनिंग पोजिशन में लेटें](https://www.momkidseducation.com/wp-content/uploads/2021/05/prone-position.jpg)
कोविड के कुछ मरीजों में सांस लेने में दिक्कत की समस्या भी देखने को मिल रही है, क्योंकि कोविड सीधे उनके फेफड़ों को प्रभावित करता है. यदि होम आइसोलेशन में रहते हुए कभी-कबार मरीज़ को ऐसी दिक्कत हो रही है तो इस स्थिति से बचने के लिए मरीज़ को प्रोनिंग पोजिशन में लेटा देना चाहिए.
अर्थात् मरीज़ को उल्टा यानि पेट के बल लेटने को कहें. पेट के बल लेटने वाली इस पोजिशन को प्रोनिंग पोजिशन कहा जाता है. इस पोजिशन में 30 से 45 मिनट तक लेटे रहने से फेफड़ों में सांस लेने की क्षमता बढ़ जाती है.
प्रत्येक 6 से 8 घंटे में इस पोजिशन में 30-45 मिनट तक लेटने और गहरी सांस लेने से मरीज़ को बहुत फ़ायदा पहुंचेगा. यह पोजिशन कोरोना मरीजों के लिए नैचुरल वेंटिलेटर का काम करती है.
धूप में भी बैठें
सूरज की रौशनी में कीटाणुओं, बैक्टीरिया और वायरस को मारने की शक्ति होती है इसलिए, रोज़ दिन में कुछ देर के लिए अपने कमरे से बाहर निकलकर धूप में ज़रूर बैठें. सुबह-सुबह की धूप में बैठना मरीज़ के लिए फायदेमंद रहेगा.
जब भी मरीज़ अपने कमरे से निकलकर बाहर बैठें तो उस जगह के आस-पास सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन का छिड़काव ज़रूर करें.
सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन का उपयोग किसी भी संक्रमित क्षेत्र या जगह को साफ़ करने के लिए किया जाता है और इससे संक्रमण का ख़तरा नहीं रहता है.
घर का बना ताजा भोजन ही खाएं
मरीज़ को रिकवर होने के लिए घर का बना हुआ सादा भोजन ही करना चाहिए. बाहर का बना हुआ या पैक्ड फ़ूड न खाएं.
आप जो भी खाते हैं गरम-गरम ही खाएं. ठंडा और बासी भोजन बिल्कुल भी न खाएं. इस दौरान हो सके तो खाने में नॉनवेज को भी अवॉयड करें.
भरपूर पानी पिएं
यदि आपको पानी पीने की आदत कम है तो अब आपको अपनी ये आदत सुधारनी होगी. कुछ लक्षणों में कोरोना से संक्रमित व्यक्ति का गला बार-बार सूखता है और प्यास बहुत लगती है.
ऐसे में आपको हर एक घंटे में दो गिलास पानी ज़रूर पीना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे कि ठंडा पानी बिल्कुल न पिएं बल्कि गरम पानी ही पिएं. पानी के अलावा दिन में जूस, नींबू पानी, नींबू चाय और नारियल पानी का भी सेवन करें.
नारियल पानी बहुत जल्दी आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक है. रात को सोने से पहले हल्दी वाला गुनगुना दूध पीकर ही सोएं. हल्दी आपके लिए इम्यूनिटी बूस्टर का कार्य करती है.
व्यायाम और योग करें
एक जानकारी के मुताबिक़ ऐसा देखा जा रहा है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम और योग करते हैं उन लोगों के शरीर पर कोरोना वायरस आसानी से हमला नहीं करता है.
इसलिए यदि आप कोरोना से संक्रमित हैं तो भी जल्दी रिकवर होने के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम और योग करना न छोड़ें.
नशीली चीज़ों का सेवन न करें
आइसोलेशन के दौरान हो सकता है कुछ लोग पैनिक हो जाएं, डिप्रेशन के शिकार होने लगे या फिर मानसिक तनाव ले लें. ऐसे में तनाव से बचने के लिए कुछ लोग नशीली चीज़ों जैसे: शराब, सिगरेट आदि का सहारा खोजने लगते हैं.
लेकिन आप इन सब चीज़ों से ख़ुद को बिल्कुल दूर रखें. ये सब चीज़ें आपके तनाव को कम नहीं करेंगी बल्कि और भी ज्यादा बढ़ा देंगी.
मॉरल सपोर्ट है ज़रूरी
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को जब आइसोलेशन में रखा जाता है तब हो सकता है कि कई सारे नेगेटिव विचार उसके मन को घेर लें.
एक तरफ आइसोलेशन में रहने की मजबूरी और दूसरी तरफ़ बीमारी का डर. ऐसे नाज़ुक हालातों में यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि मरीज़ को मॉरल सपोर्ट मिले.
यदि मरीज़ होम आइसोलेशन में है तो उसकी फैमिली के अन्य सदस्यों का यह फ़र्ज़ बनता है कि मरीज़ की देखभाल प्यार और पॉज़िटिविटी के साथ करें. उसे मॉरल सपोर्ट दें. उसे विश्वास दिलाएं कि यदि वह सतर्क रहे तो वह बहुत जल्द ठीक हो जाएगा.
यदि मरीज़ अकेला ही आइसोलेशन में रह रहा है और उसकी देखभाल करने वाला कोई भी साथ में नहीं है तो ऐसी स्थिति में मरीज़ को खुद ही अपने आपको मॉरल सपोर्ट करना चाहिए.
सकारात्मक रहें
यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि यदि आपके मन में किसी बीमारी को लेकर डर बैठ जाए तो आपका दिमाग आपके शरीर पर हावी हो जाता है और आपका दिमाग आपके शरीर में उस बीमारी के लक्षण उत्पन्न करना शुरू कर देता है.
आपके साथ ऐसा न हो इसके लिए मेडिटेशन यानि ध्यान एवं प्राणायाम करें. इससे आपके अंदर की नेगेटिविटी दूर होगी और पॉज़िटिविटी आएगी.
यह सत्य है कि इस वक़्त समस्त संसार बड़े ही कठिन दौर से गुजर रहा है लेकिन ज़िन्दगी जीने के लिए सकारात्मकता का होना उतना ही ज़रूरी है जितना कि सांस लेना.
यकीन मानिए यह सकारात्मकता मरीज़ को इस वायरस से लड़ने की हिम्मत देगी और वह बहुत जल्दी इस बीमारी को हराकर आगे बढ़ेगा.
आराम करें और मानसिक तनाव से मुक्त रहें
कोरोना से संक्रमित होने के बाद आपके शरीर में काफ़ी कमजोरी आ जाती है और आप बहुत थका-थका सा महसूस करते हैं. इसलिए इससे राहत पाने के लिए आपको भरपूर आराम करना चाहिए.
कोरोना वायरस, मरीज़ के शरीर के साथ-साथ उसकी मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव डालता है. इलाज के दौरान मरीज़ की मानसिक सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
होम आइसोलेशन में रहते हुए आप फ़ोन या वीडियो कॉल के ज़रिये अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों से बात कर सकते हैं, अपनी पसंदीदा पुस्तक पढ़ सकते हैं.
अपना पसंदीदा शो देख सकते हैं, हल्का-फुल्का गेम भी खेल सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि खुद पर ज्यादा ज़ोर न डालें. टी.वी और मोबाइल फ़ोन पर ज्यादा देर तक न देखें, इससे आपकी आँखों पर ज़ोर पड़ सकता है.
बहुत अधिक सोचने से मरीज़ मानसिक तनाव का भी शिकार हो सकता है और कभी-कभी इस बीमारी का भय मरीज़ के मन में भी बैठ जाता है.
इसलिए भय को अपने मन से निकालकर ख़ुद को सकारात्मक रखते हुए सतर्कता एवं सावधानी बरतें और डटकर इस वायरस का सामना करें.
होम आइसोलेशन के बाद भी सावधानी बरतें
इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखें कि होम आइसोलेशन ख़त्म हो जाने का या आपकी कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप दोबारा से इस वायरस की चपेट में नहीं आ सकते इसलिए अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें.
होम आइसोलेशन ख़त्म हो जाने के बाद और कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी आपको पूरी सावधानी और सतर्कता बरतनी बहुत ही ज़रूरी है.
क्योंकि इस वायरस से आप केवल अपने आप को ही नहीं बल्कि अपने आस-पास के अन्य लोगों को भी प्रभावित करते हैं. आपकी एक लापरवाही आपकी व दूसरों की जिंदगी पर भी भारी पड़ सकती है. इसलिए सतर्क रहे, सुरक्षित रहें.
निश्चित रूप से आप बहुत जल्द इस वायरस को हराने में कामयाब होंगे. उम्मीद करते हैं आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा और इसमें दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी. यह जानकारी अन्य लोगों के साथ भी ज़रूर शेयर करें.